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    व्यासं वसिष्ठनप्तारं शक्तेः पौत्रमकल्मषम् । पराशरात्मजं वन्दे शुकतातं तपोनिधिम् ॥ ३॥

    I bow before you Vyasa, The treasure house of penance, The great-grandson of Vasishta, The grandson of Shakthi, The son of Parasara, And the father of Shuka.

    मैं आपको प्रणाम करता हूँ व्यास, तपस्या के भण्डार, वसिष्ठ के प्रपौत्र। शक्ति का पोता, पराशर का पुत्र। और शुक के पिता,