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    सुप्रसादः प्रसन्नात्मा विश्वधृग्विश्वभुग्विभुः । सत्कर्ता सत्कृतः साधुर्जह्नुर्नारायणो नरः ॥ २६॥

    238. Su-prasadah: The Giver of good favors. 239. Prasannatma: He with a delightful nature. 240. Visva-srit: The Creator of the Universe. 241. Visvabhug-vibhuh: He who pervades all things and protects them. 242. Satkarta: He who honors the good. 243. Satkritah: He who is worshipped by the sadhus. 244. Sadhuh: One who carries out the wishes of his devotees. 245. Jahnuh: The Concealer. 246. Narayanah: The Supporter of all the souls. 247. Narah: He who is imperishable.

    238. सुप्रसादः: शुभ आशीर्वाद देने वाले। 239. प्रसन्नात्मा: वह जिनका प्राकृतिक स्वभाव प्रसन्न है। 240. विश्वसृत्: ब्रह्मांड के रचयिता। 241. विश्वभुग्विभुः: वह जो सभी चीजों को व्याप्त करता है और उनकी सुरक्षा करता है। 242. सत्कर्ता: वह जो अच्छे का सम्मान करता है। 243. सत्कृतः: साधुओं द्वारा पूजित होने वाले। 244. साधुः: वह जो अपने भक्तों की इच्छाओं का पालन करते हैं। 245. जह्नुः: छिपाने वाले। 246. नारायणः: सभी आत्माओं का समर्थन करने वाले। 247. नरः: वह जो अविनाशी हैं।