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सर्वगः सर्वविद्भानुर्विष्वक्सेनो जनार्दनः । वेदो वेदविदव्यङ्गो वेदाङ्गो वेदवित् कविः ॥ १४॥
124. Sarva-gah: One who reaches all. 125. Sarva-vit: One who is the All-knower. 126. Bhanuh: One who shines. 127. Vishvak-senah: One who has his army for the protection of all. 128. Janardanah: One who destroys the wicked and protects people. 129. Vedah: One who is the embodiment of scriptures. 130. Vedavit: The true knower of the meaning of the Vedas. 131. Avyangah: One who has no imperfections. 132. Vedangah: One who has Vedas as his body. 133. Vedavit: One who knows the true meaning of Vedas. 134. Kavih: One who cognizes beyond ordinary perception.
124. सर्वगः: जो सभी जगह पहुँचते हैं। 125. सर्ववित्: जो सबकुछ जानने वाले हैं। 126. भानुः: जो प्रकाशित होते हैं। 127. विश्वक्सेनः: जिनकी सेना सबकी सुरक्षा के लिए है। 128. जनार्दनः: जो दुश्मनों को नष्ट करते हैं और लोगों की सुरक्षा करते हैं। 129. वेदः: जो शास्त्रों का प्रतिष्ठान हैं। 130. वेदवित्: वेदों के अर्थ को जानने वाले। 131. अव्यङ्गः: जिनका कोई दोष नहीं है। 132. वेदाङ्गः: जिनका शरीर वेद है। 133. वेदवित्: वेदों के अर्थ को जानने वाले। 134. कविः: जो सामान्य ज्ञान के परांतरीय अवबोध करते हैं।