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महाक्रमो महाकर्मा महातेजा महोरगः । महाक्रतुर्महायज्वा महायज्ञो महाहविः ॥ ७२॥
676. Mahakramah: He Who provides easy step-by-step access for the elevation of His devotee. 677. Mahakarma:He of great actions. 678. Mahatejah: He of great Resplendence. 679. Mahoragah: He Who has the serpent Ananta as His bed. 680. Mahakratuh: He Who is worshiped by the great yagas. 681. Mahayajva: He Who performs great sacrifices. 682. Mahayajnah: He Who manifests Himself in the form of the best of yajnas. 683. Mahahavih: He Who is worshiped with supreme oblations.
676. महाक्रमः: वह जो अपने भक्त की उन्नति के लिए सीधे कदम-कदम सुगम योग्यता प्रदान करते हैं। 677. महाकर्मा: जिनके द्वारा अद्भुत क्रियाएँ की जाती हैं। 678. महातेजः: वह जो बड़े तेज के साथ हैं। 679. महारगः: वह जिनका बिस्तर सर्प अनंत है। 680. महाक्रतुः: वह जिनकी तारीख से महत्त्वपूर्ण यज्ञ की पूजा की जाती है। 681. महायज्ञः: वह जो सर्वोत्तम यज्ञ के रूप में स्वयं को प्रकट करते हैं। 682. महायज्वा: वह जो बड़े यज्ञों का आयोजन करते हैं। 683. महाहविः: वह जो अधिक दानों के साथ पूजा किए जाते हैं।