- 31
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥ ३१ ॥
You have been blessed by Mother Janaki to give boon further, to the deserving ones, wherein You can grant the siddhis (eight different powers) and the nidhis (nine different kinds of wealth). ॥ 31 ॥
आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। ॥ ३१ ॥
- 32
राम रसायन तुह्मरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
You have the essence of Ram bhakti, may you always remain the humble and devoted servant of Raghupati. ॥ 32 ॥
आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है। ॥ ३२ ॥
- 33
तुह्मरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३ ॥
When one sings Your praise, Your name, He gets to meet Lord Rama and finds relief from the sorrows of many lifetimes. ॥ 33 ॥
आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है। ॥ ३३ ॥
- 34
अन्त काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥ ३४ ॥
By your grace, one will go to the immortal abode of Lord Rama after death and remain devoted to Him. ॥ 34 ॥
अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे। ॥ ३४ ॥
- 35
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥ ३५ ॥
It is not needed to serve any other Deity or God. Service to Lord Hanuman gives all the comforts. ॥ 35 ॥
हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती। ॥ ३५ ॥