- 11
लाय सञ्जीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ ११ ॥
Bringing the magic-herb (sanjivani), You revived Lord Laxmana. ॥ 11 ॥
आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया। ॥ ११ ॥
- 12
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ १२ ॥
Raghupati, Lord Rama praised You greatly and overflowing in gratitude, said that You are a dear brother to Him just as Bharat is. ॥ 12 ॥
श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। ॥ १२ ॥
- 13
सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥ १३ ॥
Saying this, Lord Rama drew You to Himself and embraced you. ॥ 13 ॥
श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। ॥ १३ ॥
- 14
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥ १४ ॥
Sages like Sanaka, Gods like Brahma and sages like Narada and even the thousand-mouthed serpent sing Your fame! Sanak, Sanandan and the other Rishis and great saints; Brahma - the god, Narada, Saraswati - the Mother Divine and the King of serpents sing Your glory. ॥ 14 ॥
श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है। ॥ १४ ॥
- 15
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥ १५ ॥
Yama, Kubera and the guardians of the four quarters; poets and scholars - none can express Your glory. ॥ 15 ॥
यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते। ॥ १५ ॥