- 26
सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ २६ ॥
Whoever meditates upon or worships You with thought, word, and deed, gets freedom from all kinds of crisis and affliction. ॥ 26 ॥
हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।॥ २६ ॥
- 27
सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
Lord Rama is the greatest Ascetic amongst all the Kings. But, it's only You who carried out all the tasks of Lord Sri Rama. ॥ 27 ॥
तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया। ॥ २७ ॥
- 28
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥
One who comes to You with any longing or a sincere desire obtains the abundance of the manifested fruit, which remains undying throughout life. ॥ 28 ॥
जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती। ॥ २८ ॥
- 29
चारों जुग परताप तुह्मारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९ ॥
Your splendor fills all the Four Ages. And, Your glory is renowned throughout the world. ॥ 29 ॥
चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है। ॥ २९ ॥
- 30
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ ३० ॥
You are the guardian of saints and sages; the destroyer of demons and adored by Lord Rama. ॥ 30 ॥
हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है। ॥ ३० ॥