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तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥ ४० ॥
O Lord Hanuman, May I always remain a servant, a devotee to Lord Sri Ram, says Tulsidas. And, May You always reside in my heart. ॥ 40 ॥
हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए। ॥ ४० ॥