1. 12

    लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२ ॥

    In the form of Goddess Lakshmi, O Mother, you appear in this world and repose by the side of Shree-Narayan. ॥ 12 ॥

    लक्ष्मीजी का रूप धारण कर आप ही क्षीरसागर में श्री नारायण के साथ शेषशय्या पर विराजमान हैं। ॥ १२ ॥