- 16
श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६ ॥
It is you, who redeem the world, appearing in the form of Shree Bhairavi, Tradevi and Chhinamasta Devi, and end its sorrows. ॥ 16 ॥
श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं। ॥ १६ ॥
- 17
केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥ १७ ॥
Reposing Gracefully upon your vehicle of Lion. O Goddess Bhavani, you are welcomed by the brave Langur (Lord Hanuman). ॥ 17 ॥
वाहन के रूप में सिंह पर सवार हे भवानी! लांगुर (हनुमान जी) जैसे वीर आपकी अगवानी करते हैं। ॥ १७ ॥
- 18
कर में खप्पर-खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजे ॥ १८ ॥
When you appear in the form of Goddess Kali with sword in one hand and a cupel in the other, even time flees in panic. ॥ 18 ॥
आपके हाथों में जब कालरूपी खप्पर व खड्ग होता है तो उसे देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है। ॥ १८ ॥
- 19
सोहै अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥ १९ ॥
Beholding you well-armed, with a Trident in your hand, the enemy’s heart aches with the sting of fear. ॥ 19 ॥
हाथों में महाशक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल उठाए हुए आपके रूप को देख शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है। ॥ १९ ॥
- 20
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २० ॥
You also repose in the form of the Devi at Nagarkot in Kangara. Thus all the three realms shudder in the might of your glory. ॥ 20 ॥
नगरकोट वाली देवी के रूप में आप ही विराजमान हैं। तीनों लोकों में आपके नाम का डंका बजता है। ॥ २० ॥