1. 39

    जब लगि जियउं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ ३९ ॥

    O, Mother! May I be the repository of your grace as long as I live, ever recounting the feats of your glory to all. ॥ 39 ॥

    हे माता! जब तक मैं जीवित रहूँ सदा आपकी दया दृष्टि बनी रहे और आपकी यशगाथा (महिमा वर्णन) मैं सबको सुनाता रहूँ। ॥ ३९ ॥