1. 16

    श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६ ॥

    It is you, who redeem the world, appearing in the form of Shree Bhairavi, Tradevi and Chhinamasta Devi, and end its sorrows. ॥ 16 ॥

    श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं। ॥ १६ ॥