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    न जानामि योगम् जपम् नैव पूजाम्। नतोऽहम् सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्। जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानम्। प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८ ॥

    Oh Shambho, I know not yoga, or penance or worship or prayer, But I always honor you, Oh my Lord, always be my savior, Suffering the cycle of death, birth and old age, I burn, Lord, protect this pained one from grief, I offer you my devotion. ॥ 8 ॥

    मैं न तो जप जानता हूँ, न तप और न ही पूजा। हे प्रभो, मैं तो सदा सर्वदा आपको ही नमन करता हूँ। हे प्रभो, बुढ़ापा व जन्म [मृत्यु] दु:खों से जलाये हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा करें। हे ईश्वर, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। ॥ ८ ॥