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नमामीशमीशान निर्वाणरूपम्। विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम्। चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ॥ १ ॥
Vibhu moksha personified, Veda incarnate, all-pervading Lord, Lord, master of all, I pay obeisance to you, and am ever-worshipful, Away from maya and the cycles of nature, of conscious desire, I chant to you Lord Digambara, who wears the sky as a garment. ॥ 1 ॥
हे मोक्षस्वरूप, विभु, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर व सबके स्वामी श्री शिव जी! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। निजस्वरूप में स्थित (अर्थात माया आदि से रहित), गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन आकाशरूप एवं आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले दिगम्बर आपको भजता हूँ। ॥ १ ॥
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निराकारमोंकारमूलम् तुरीयम्। गिराज्ञानगोतीतमीशम् गिरीशम्। करालम् महाकालकालम् कृपालम्। गुणागारसंसारपारम् नतोऽहम् ॥ २ ॥
Who is formless, Aumkar's origin, beyond the three gunas, Beyond speech, knowledge, senses, giver of grace, Perfect One who brings awe and reverence within, Lord of Time, Lord of Kailash, beyond this world, my obeisance to you. ॥ 2 ॥
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत), वाणी, ज्ञान व इंद्रियों से परे, कैलासपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार के परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ। ॥ २ ॥
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तुषाराद्रिसंकाशगौरम् गभीरम्। मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम्। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥ ३ ॥
Fair-skinned like Himanchal, serene, unmoved, Of beauty and grace greater than a million Kamadevas, ever glowing, Upon whose head resides the sacred Goddess Ganga, Upon whose head is the crescent moon, whose neck is adorned by a snake. ॥ 3 ॥
जो हिमाचल समान गौरवर्ण व गम्भीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है,जिनके सर पर सुंदर नदी गंगा जी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीय का चंद्रमा और गले में सर्प सुशोभित है। ॥ ३ ॥
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चलत्कुण्डलम् भ्रूसुनेत्रम् विशालम्। प्रसन्नाननम् नीलकण्ठम् दयालम्। मृगाधीश चर्माम्बरम् मुण्डमालम्। प्रियम् शंकरम् सर्वनाथम् भजामि ॥ ४ ॥
In his ears are kundalas, whose eyes and eyebrows are beautiful, Cheerful, blue necked, kind, compassionate, understanding, Wrapped in animal skin, wearing a garland of skulls, Dearest to all, Lord of all, I chant his name – Shankara. ॥ 4 ॥
जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुंदर भृकुटि व विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ व दयालु हैं, सिंहचर्म धारण किये व मुंडमाल पहने हैं, उनके सबके प्यारे, उन सब के नाथ श्री शंकर को मैं भजता हूँ। ॥ ४ ॥
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प्रचण्डम् प्रकृष्टम् प्रगल्भम् परेशम्। अखण्डम् अजम् भानुकोटिप्रकाशम्। त्रयः शूलनिर्मूलनम् शूलपाणिम्। भजेऽहम् भवानीपतिम् भावगम्यम् ॥ ५ ॥
Rudrarup, best, perfect, eternal, unborn, the opulent one, With the effulgence of a million suns, with a trident in hand, Who uproots the three kinds of griefs, who by love can be gained, I chant Bhavani's husband's name – Shankar – to you I pray. ॥ 5 ॥
प्रचण्ड (रुद्र रूप), श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों (दु:खों) को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किये, प्रेम के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकर को मैं भजता हूँ। ॥ ५ ॥