- 6
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि । नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
Salutations to her who is angry , Salutations to the killer of Madhu, Salutations to the winner over Kaidabha , Salutations to the killer of Mahisha. ॥ 6 ॥
हे रुद्रस्वरुपिणी! तुम्हें नमस्कार! हे मधु दैत्य को मारने वाली ! तुम्हें नमस्कार है. कैटभविनाशिनी को नमस्कार! महिषासुर को मारने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है ॥ ६ ॥
- 7
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ ७ ॥
Salutations to the killer of Shumba and the killer of Nishumbha, Oh Great goddess , please safely give me expertise of chanting this. ॥ 7 ॥
शुम्भ का हनन करने वाली और निशुम्भ को मारने वाली ! तुम्हें नमस्कार है। हे महादेवि! मेरे जप को जाग्रत और सिद्ध करो। ॥ ७ ॥
- 8
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते। ॥ ८ ॥
Salutations to the Goddess who has the form of root chants, Who by the chant “Aim” has the form of the creator, Who by the chant “Hreem” has the form of one who takes care of, And who by the Chant “Kleem” has the form of passion(Desire) ॥ 8 ॥
"ऐंकार" के रूप में सृष्टिस्वरूपिणी, "ह्रीं" के रूप में सृष्टि पालन करने वाली । "क्लीं" के रूप में कामरूपिणी (तथा निखिल ब्रह्माण्ड ) - की बीजरूपिणी देवी! तुम्हें नमस्कार है । ॥ ८ ॥
- 9
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
Salutations to goddess who has the form made of Chants, To the Chamunda who is the killer of Chanda , Who by chanting “Ai” grants boons, And by Chanting “Viche”, grants protection daily. ॥ 9 ॥
चामुण्डा के रूप में चण्डविनाशिनी और "यैकार" के रूप में तुम वर देने वाली हो। "विच्चे" रूप में तुम नित्य ही अभय देती हो। (इस प्रकार "ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे") तुम इस मन्त्र का स्वरुप हो। ॥ ९ ॥
- 10
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी । क्रां क्रीं कूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
'Dham, Dheem, Dhoom,' the wife of Lord Shiva, 'Vaam, Veem, Voom,' the goddess of speech, 'Kraam, Kreem, Kroom,' the goddess Kali, 'Saam, Seem, Soom,' please do good. ॥ 10 ॥
'धां धीं धूं' के रुप में धूर्जटी (शिव) की तुम पत्नी हो. 'वां वीं वूं' के रूप में तुम वाणी की अधीश्वरी हो. 'क्रां क्रीं क्रू' के रूप में कालिका देवी, शां शीं शुं' के रूप में मेरा कल्याण करो ॥ १० ॥