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यं यमिच्छति तं तं वै दास्यामि स्तोत्रपाठतः। पुत्रपौत्रादिकं सर्वं कलत्रं धनधान्यकम् ॥२६॥
Whatever a man desires by reciting this hymn, I will give him all that. Sons, grandsons, wife, wealth and grains
इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य जिस-जिस वस्तु को पाने की इच्छा करता है, वह सब मैं उसे दूँगा । पुत्र-पौत्र आदि, कलत्र, धन-धान्य
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गजाश्वादिकमत्यन्तं राज्यभोगादिकं ध्रुवम् । भुक्तिं मुक्तिं च योगं वै लभते शान्तिदायकम् ॥२७॥
He will certainly get elephants, horses and royal pleasures etc. in abundance. A person reciting stotras will also get worldly pleasures, salvation and peace-giving yoga.
हाथी- घोड़े तथा राज्यभोग आदि सब वस्तुएँ उसे निश्चय ही अतिशय मात्रा में प्राप्त होंगी । स्तोत्र-पाठ करने वाला मनुष्य भोग, मोक्ष तथा शान्तिदायक योग भी प्राप्त कर लेगा ।
- 28
मारणोच्चाटनादीनि राजबन्धादिकं च यत् । पठतां शृण्वतां नॄणां भवेच्च बन्धहीनता ॥२८॥
Experiments like maran, uchchatan and mohan etc. will not succeed on him. The pain of getting bound by the king will also go away. People who recite and listen to this will become free from bondage.
मारण, उच्चाटन और मोहन आदि प्रयोग उसके ऊपर सफल न होंगे । राजा के द्वारा बन्धन आदि की प्राप्ति का कष्ट भी दूर हो जायगा । इसका पाठ और श्रवण करने वाले मनुष्य बन्धनहीन हो जायेंगे ।
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एकविंशतिवारं यः श्लोकानेवैकविंशतीन्। पठेच्च हृदि मां स्मृत्वा दिनानि त्वेकविंशतिम् ॥२९॥
One who recites these twenty-one verses twenty-one times daily for twenty-one days while thinking of me in his mind,
जो अपने मन में मेरा चिन्तन करते हुए इन इक्कीस श्लोकों का इक्कीस दिनों तक प्रतिदिन इक्कीस बार पाठ करेगा,
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न तस्य दुर्लभं किञ्चित् त्रिषु लोकेषु वै भवेत् । असाध्यं साधयेन्मर्त्यः सर्वत्र विजयी भवेत् ॥३०॥
Nothing will be rare for him in the three worlds. That man will accomplish even the impossible and will be victorious everywhere.
उसके लिये तीनों लोकों में कुछ भी दुर्लभ नहीं रहेगा । वह मनुष्य असाध्य कार्य का भी साधन कर लेगा और सर्वत्र विजयी होगा ।