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ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके । राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥
The devotee who stands in the water of Shri Radha-Kund (up to his thighs, navel, chest or neck) and recites this stambha (stotra) 100 times…
जो साधक श्री राधा-कुंड के जल में खड़े होकर (अपनी जाँघों, नाभि, छाती या गर्दन तक) इस स्तम्भ (स्तोत्र) का १०० बार पाठ करे…।
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तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् । ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥
May he attain perfection in the five goals of life i.e. Dharma, Artha, Kama, Moksha and Prem, may he attain Siddhi. May his speech be powerful (whatever he says should not go in vain), may he get the fortune of seeing Shri Radhika in front of him and….
वह जीवन के पाँच लक्ष्यों धर्म, अर्थ, काम,मोक्ष और प्रेम में पूर्णता प्राप्त करे, उसे सिद्धि प्राप्त हो। उसकी वाणी सामर्थ्यवान हो (उसके मुख से कही बातें व्यर्थ न जाए) उसे श्री राधिका को अपने सम्मुख देखने का ऐश्वर्य प्राप्त हो और…।