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देवगणार्चित सेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ६ ॥
The Linga who is worshipped and archan is offered by the gods, the Linga who is worshipped with an attitude of devotion, the Linga who is effulgent like a million suns, to that Linga, (representing) Sadashiva, my prostrations. ॥ 6 ॥
भाव भक्ति द्वारा समस्त देवगणों से पूजित एवं सेवित, करोड़ों सूर्यों की प्रखर कान्ति से युक्त उस भगवान सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ ॥ ६ ॥
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अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् । अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ७ ॥
The Linga that is enveloped with eight-fold petals, the Linga that is the cause of all creation and that which destroys the eightfold poverty, to that Linga, (representing) Sadashiva, my prostrations. ॥ 7 ॥
अष्टदल कमल से वेष्टित सदाशिव का लिंगरूप विग्रह सभी चराचर की उत्पत्ति का कारणभूत एवं अष्ट दरिद्रों का विनाशक है, उस सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ ॥ ७ ॥
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सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गं सुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम् । परात्परं परमात्मक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ८ ॥
The Linga who is worshipped by the guru of the gods and elite of the devas, the Linga who is worshipped with the divine flowers and the Linga who is higher than the highest, the supreme Self, to that Linga, (representing) Sadashiva, my prostrations. ॥ 8 ॥
जो लिंग देवगुरु बृहस्पति एवं देवश्रेष्ठ इन्द्रादि के द्वारा पूजित, निरंतर नंदनवन के दिव्य पुष्पों द्वारा अर्चित, परात्पर एवं परमात्म स्वरुप है, उस सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ ॥ ८ ॥
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लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥ ९ ॥
He who recites this Lingashtakam near Sambashiva, the purifier, certainly resides in Shiva's abode (Kailash) and remains immensely pleased in the company of Shiva. ॥ 9 ॥
जो साम्ब सदाशिव के समीप पुण्यकारी इस लिंगाष्टक का पाठ करता है, वह निश्चित ही शिवलोक ( कैलास ) में निवास करता है तथा शिव के साथ रहते हुए अत्यन्त प्रसन्न होता है ॥ ९ ॥