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    श्रीराम उवाच - नमस्ते त्रिजगद्वन्द्ये संग्रामे जयदायिनि । प्रसीद विजयं देहि कात्यायनि नमोऽस्तु ते ॥१॥

    Shri Ramchandra Ji said- O Trilokvandaniya! The one who gives victory in the war! Katyayani! I salute you again and again. May you be pleased with me and grant me victory.

    श्रीरामचन्द्र जी बोले- त्रिलोकवन्दनीया ! युद्ध में विजय देने वाली ! कात्यायनी ! आपको बार-बार नमस्कार है I आप मुझ पर प्रसन्न हों, और मुझे विजय प्रदान करें I

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    सर्वशक्तिमये दुष्टरिपुनिग्रहकारिणि । दुष्टजृम्भिणि संग्रामे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥

    Omnipotent, the one who controls the wicked enemies, the one who destroys the wicked, O Bhagvati! Grant me victory in the battle, I salute you.

    सर्वशक्तिमयी, दुष्ट शत्रुओं का निग्रह करने वाली, दुष्टों का संहार करने वाली भगवती ! संग्राम में मुझे विजय प्रदान करें , आपको नमस्कार है I

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    त्वमेका परमा शक्तिः सर्वभूतेष्ववस्थिता । दुष्टं संहर संग्रामे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥

    You are the supreme power residing in all beings. Please kill the evil demon in the battle and grant me victory. Salutations to you.

    आप ही सभी प्राणियों में निवास करने वाली पराशक्ति हैं, संग्राम में दुष्ट राक्षस का संहार करें, और मुझे विजय प्रदान करें I आपको नमस्कार है I

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    रणप्रिये रक्तभक्षे मांसभक्षणकारिणि । प्रपन्नार्तिहरे युद्धे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥

    O warrior-lover! You who removes the pain of those who surrender! And you who consume the blood and flesh of (demons), grant me victory in the war, I salute you.

    युद्धप्रिये ! शरणागत की पीड़ा हरने वाली ! तथा {रक्षासों} का रक्त एवम् मॉस भक्षण करने वाली युद्ध में मुझे विजय प्रदान करें, आपको नमस्कार है I

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    खट्वाङ्गासिकरे मुण्डमालाद्योतितविग्रहे । ये त्वां स्मरन्ति दुर्गेषु तेषां दुःखहरा भव॥५॥

    Bhagwati with a deity holding a Khatwang and a sword in her hand and adorned with a Mundamala! Remove the sorrow of those who remember you in difficult circumstances.

    हाथ में खट्वांग तथा खड्ग धारण करने वाली एवम् मुण्डमाला से सुशोभित विग्रह वाली भगवती ! विषम परिस्थितियों में जो आपका स्मरण करते हैं, उनका दुःख हरण कीजिये I