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    यच्च किञ्चित् जगत् सर्वं दृश्यते श्रूयतेऽपि वा । अन्तर्बहिश्च तत्सर्वं व्याप्य नारायणः स्थितः ॥५॥

    Whatever all this universe is, -seen or heard of, -pervading all this from inside and outside alike, stands supreme the Eternal Divine Being (Narayana).

    यह सारा ब्रह्माण्ड जो कुछ भी है, -देखा या सुना गया है, -इसी सबमें व्याप्त है अंदर और बाहर समान रूप से, शाश्वत दिव्य अस्तित्व (नारायण) सर्वोच्च है।