1. 19

    तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते किमु पुरुहूत पुरीन्दुमुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते । मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

    Whoever repeatedly meditates on Your divine face adorned by the crescent moon, will he ever be rejected by beautiful women like those in Indra’s abode? O most valued treasure of Siva, why do You not fulfill my wishes, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 19 ॥

    स्वच्छ चन्द्रमा के सदृश सुशोभित होनेवाले आपके मुखचन्द्र निर्मल करके जो आपको प्रसन्न कर लेता है, क्या उसे देवराज इन्द्र की नगरी में रहनेवाली चन्द्रमुखी सुन्दरियाँ सुख से वंचित रख सकती हैं! भगवान् शिव के सम्मान को अपना सर्वस्व समझनेवाली [हे भगवति] मेरा तो यह विश्वास है कि आपकी कृपा से क्या-क्या सिद्ध नहीं हो जाता। हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो जय हो ॥ १९ ॥