1. 11

    महितमहाहवमल्लमतल्लिकवल्लितरल्लितभल्लिरते विरचितवल्लिकपालिकपल्लिकझिल्लिकभिल्लिकवर्गवृते। श्रुतकृतफुल्लसमुल्लसितारुणतल्लजपल्लवसल्ललिते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

    You who are fond of the sport in the form of a mighty battle against groups of mighty warriors, who are surrounded by hunters who build their huts with creepers and forest tribes known as Mallikas, Jhillikas and Bhillikas, whose body is soft like the beautiful tender red leaf, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 11 ॥

    महनीय महायुद्धके श्रेष्ठ वीरों के द्वारा (इधर-उधर) घुमावदार तथा कलापूर्ण ढंग से चलाये गये भालों के युद्ध के निरीक्षण में चित्त लगानेवाली; कृत्रिम लतागृह का निर्माण कर उसका पालन करनेवाली स्त्रियों की बस्ती में ‘झिल्लिक’ नामक वाद्यविशेष बजानेवाली भिल्लिनियों के समूह से सेवित होनेवाली और कान पर रखे हुए विकसित सुन्दर रक्तवर्ण तथा श्रेष्ठ कोमल पत्तों से सुशोभित होनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुरमर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ ११ ॥

  2. 12

    अविरलगण्डगलन्मदमेदुरमत्तमतङ्गजराजगते त्रिभुवनभूषणभूतकलानिधिरूपपयोनिधिराजसुते। अयि सुदतीजन लालसमानसमोहनमन्मथराजसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

    You whose gait is like that of a well-nourished lordly elephant in rut along whose cheeks there is an abundant flow of ichor, You who took the form of Goddess Lakshmi, the daughter of the ocean of milk which is the place of origin of the moon which is the eternal ornament of the three worlds, who captivate even Manmatha who captivates the minds of beautiful women full of desire, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 12 ॥

    सुन्दर दन्तपंक्तीवाली स्त्रियों के उत्कण्ठापूर्ण मन को मुग्ध कर देनेवाले कामदेव को जीवन प्रदान करनेवाली, निरन्तर मद चूते हुए गण्डस्थल से युक्त मदोन्मत्त गजराज के सदृश मन्थर गतिवाली और तीनों लोकों के आभूषण स्वरूप चन्द्रमा के समान कान्तियुक्त सागर-कन्या के रूप में प्रतिष्ठित हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुरमर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ १२ ॥

  3. 13

    कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले । अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

    O You whose forehead is incomparable and is lustrous like a tender beautiful lotus petal, who are the repository of all kinds of dances and are like the gently cooing swan, in whose hair there is an array of bees, whose hair is adorned with a garland of beautiful flowers, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 13 ॥

    कमलदल के सदृश वक्र, निर्मल और कोमल कान्ति से परिपूर्ण एक कलावाले चन्द्रमा से सुशोभित उज्ज्वल ललाट-पटलवाली, सम्पूर्ण विलासों की कलाओं की आश्रयभूत मन्द गति तथा क्रीड़ा से सम्पन्न राजहंस के समुदाय से सुशोभित होनेवाली और भौंरों के सृदश काले तथा सघन केशपाश की चोटी पर शोभायमान मौलसिरी पुष्पों की सुगन्ध से भ्रमर समूहों को आकृष्ट करनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ १३ ॥

  4. 14

    कलमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते । निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

    You who put to shame even the koel with the sweet tunes spreading out from Your flute, who move about among the creepers in the Kailasa mountain, who enjoy the dances of Your divine damsels and various other sports, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 14 ॥

    आपके हाथ में संशोधित करने की ध्वनि सुनकर बोलना बन्द करके लाज से भरी हुई कोकिल के प्रति प्रिय भावना रखनेवाली, भौंरों के मनोहर गूँज से सुशोभित पर्वत-प्रदेश के निकुंजों में विहार करनेवाली और अपने भूत तथा भिल्लिनी आदि गणों के नृत्य से युक्त क्रीड़ाओं को देखने में सदा तल्लीन रहनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुरमर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ १४ ॥

  5. 15

    कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

    You set at nought even the splendour of the moon with the charm of your reddish body, black locks of hair and the yellow robe worn around the waist, whose toe-nails shine with the resplendence of the gems in the crowns of the gods and asuras who prostrate before You, whose high breasts quiver as if by the force of the torrents of water flowing down from the summits of the Meru mountain which was conquered by Lord Siva, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 15 ॥

    अपने कटिप्रदेश पर सुशोभित पीले रंग के रेशमी वस्त्र की विचित्र कान्ति से सूर्य का प्रभाव तिरस्कृत कर देनेवाली, सुमेरु पर्वत के शिखर पर मदोन्मत्त गर्जना करनेवाले हाथियों के गण्डस्थल के समान वक्षस्थलवाली और आपको प्रणाम करनेवाले देवताओं तथा दैत्यों के मस्तक पर स्थित मणियों से निकली हुई किरणों से प्रकाशित चरण नखों में चन्द्रमा सदृश कान्ति धारण करनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ १५ ॥