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अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
O Daughter of the Mountain, who delight the earth, who make the whole universe enjoy, who are praised by Nandikesvara, who dwell on the summit of the king of mountains, the Vindhyas, who took the form of the consort of Vishnu (as Lakshmi), who are praised by Indra, O consort of Siva (the blue-necked), who have innumerable families, who are the Creatrix of the whole universe, who slew the demon Mahisha, who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 1 ॥
पर्वतराज हिमालय की कन्यारूपिणी, पृथ्वी को आनन्दित करनेवाली, संसार को हर्षित रखनेवाली, नन्दीगणों से नमस्कार की जानेवाली, गिरिश्रेष्ठ विन्ध्याचल के शिखर पर निवास करनेवाली, भगवान् विष्णु को प्रसन्न रखनेवाली, इन्द्र से नमस्कृत होनेवाली, भगवान् शिव की भक्ति रूप में प्रतिष्ठित, विशाल कुटुम्बवाली और ऐश्वर्य प्रदान करनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ १ ॥
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सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
O Daughter of the Mountain, who delight Indra, who crushed the demon Durdhara, who subdued Durmukha, who are immersed in bliss, who nourish all the three worlds, who make Sankara happy, who remove all sins, who delight in celebration, who are angry with Asuras, who destroy evil pride, who destroyed the demon Durdama, who was born as the daughter of the ocean (as Lakshmi), who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 2 ॥
देवराज इन्द्र को समृद्धशाली बनानेवाली, दुर्धर तथा दुर्मुख नामक दैत्यों का विनाश करनेवाली, सर्वदा हर्षित रहनेवाली, तीनों लोकों का पालन-पोषण करनेवाली, भगवान् शिव को सन्तुष्ट रखनेवाली, पाप को दूर करनेवाली, घोर गर्जन करनेवाली, दैत्यों पर भीषण कोप करनेवाली, अहंकारियों के मद का हरण करनेवाली, सदाचार से रहित मुनिजनों पर क्रोध करनेवाली और समुद्र की कन्या महालक्ष्मी के रूप में प्रतिष्ठित हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ २ ॥
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अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते । मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
O Mother of the universe, who enjoy dwelling in Kadambavana, who is anointed with perfume, who sport a gentle smile, who dwell in Your abode on the peak of the lofty Himalaya mountain, the crest-jewel among mountains, who enjoy the sweetness of honey, who slew Madhu and Kaitabha, who destroy all sins, who delight in the Raasa dance, who crushed Mahishasura, who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 3 ॥
जगत् मातृस्वरूपिणी, कदम्ब वृक्ष के वन में प्रेमपूर्वक निवास करनेवाली, सदा सन्तुष्ट रहनेवाली, हास-परिहास में सदा रत रहनेवाली, पर्वतों में श्रेष्ठ ऊँचे हिमालय की चोटी पर अपने भवन में विराजमान रहनेवाली, मधु से भी अधिक मधुर स्वभाववाली, मधु-कैटभ का संहार करनेवाली, महिष को विदीर्ण कर डालनेवाली और रासक्रीडा में मग्न रहनेवाली हे भगवान् शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ ३ ॥
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अयि निजहुंकृतिमात्रनिराकृतधूम्रविलोचनधूम्रशते समरविशोषितरोषितशोणितबीजसमुद्भवबीजलते। शिवशिवशुम्भनिशुम्भमहाहवतर्पितभूतपिशाचरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
You who eliminated Dhoomralochana and hundreds of Dhoomras by a mere ‘humkaara’, who slew in battle numerous Raktabijas who rose up from the blood of Raktabija who was weakened in the fight, and, wonder of wonders, who slew in a mighty battle Sumbha, Nisumbha, and the arrogant leaders of the ghosts, who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 4 ॥
अपने हुंकारमात्र से धूम्रलोचन तथा धूम्र आदि सैकड़ों असुरों को भस्म कर देनेवाली, युद्धभूमि में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न हुए अन्य रक्तबीज समूह का रक्त पी जानेवाली और शुम्भ निशुम्भ नामक दैत्यों के महायुद्ध से तृप्त किये गये मंगलकारी शिव के भूत पिशाचों के प्रति अनुराग रखनेवाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ ४ ॥
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अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते । निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
You who cut down with the weapon known as ‘Satakhanda’ the heads and trunks of mighty elephants, whose mount is the powerful lion which killed the elephants of the enemy with severe blows on their necks, who killed the ferocious generals of the army of Bhandasura with blows by your hand, You who have charming locks of hair, O Daughter of the Mountain, hail unto You, hail unto You. ॥ 5 ॥
गजाधिपति के बिना सूँड के धड़ को काट-काटकर सैकड़ों टुकड़े कर देनेवाली, सेनाधिपति चण्ड-मुण्ड नामक दैत्यों को अपने भुज दण्ड से मार-मारकर विदीर्ण कर देनेवाली, शत्रुओं के हाथियों के गण्डस्थल को भग्न करने में उत्कट पराक्रम से सम्पन्न कुशल सिंह पर आरूढ़ होनेवाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो ॥ ५ ॥