- 6
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली मनोजांस्तु कामान् यथार्थं प्रकुर्यात् । तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥६॥
She is the giver of heaven and is like the Kalpalata. She fulfills the desires of the devotees in a real way. And they are fulfilled forever; even the gods do not know this form of yours.
ये स्वर्ग को देने वाली हैं और कल्पलता के समान हैं। ये भक्तों के मन में उत्पन्न होने वाली कामनाओं को यथार्थ रूप में पूर्ण करती हैं। और वे सदा के लिये कृतार्थ हो जाते हैं; आपके इस स्वरूप को देवता भी नहीं जानते ।
- 7
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्ता लसत्पूतचित्ते सदाविर्भवत्ते । जपध्यानपूजासुधाधौतपङ्का स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥ ७॥
You remain inebriated by drinking liquor and always have affection for your devotees. You always appear in the beautiful and pure hearts of devotees. You cleanse the mud of ignorance of devotees with the nectar of chanting, meditation and worship; even the gods do not know this form of yours.
आप सुरापान से मत्त रहती हैं और अपने भक्तों पर सदा स्नेह रखती हैं । भक्तों के मनोहर तथा पवित्र हृदय में ही सदा आपका आविर्भाव होता है । जप, ध्यान तथा पूजारूपी अमृत से आप भक्तों के अज्ञानरूपी कीचड़ को साफ करने वाली हैं; आपके इस स्वरूप को देवता भी नहीं जानते ।
- 8
चिदानन्दकन्दं हसन् मन्दमन्दं शरच्चन्द्रकोटिप्रभापुञ्जबिम्बम् । मुनीनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥८॥
Your form is full of bliss, is soft and smiling, is like the reflection of the glow of millions of autumnal moons and illuminates the hearts of sages and poets; even the gods are not aware of this form of yours.
आपका स्वरूप चिदानन्दघन, मन्द-मन्द मुसकान से सम्पन्न, शरत्कालीन करोड़ों चन्द्रमा के प्रभासमूह के प्रतिबिम्ब-सदृश और मुनियों तथा कवियों के हृदय को प्रकाशित करने वाला है; आपके इस स्वरूप को देवता भी नहीं जानते ।
- 9
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा कदाचिद् विचित्राकृतिर्योगमाया । न बाला न वृद्धा न कामातुरापि स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥९॥
You are dark in colour like the clouds of deluge, sometimes you are red in colour and sometimes you are bright in colour. You have a strange appearance and are the embodiment of Yogamaya. You are neither a child, nor an old woman, nor a lusty young woman; even the gods do not know this form of yours.
आप प्रलयकालीन घटाओं के समान कृष्णवर्णा हैं, आप कभी रक्तवर्णवाली तथा कभी उज्ज्वलवर्णवाली भी हैं। आप विचित्र आकृतिवाली तथा योगमायास्वरूपिणी हैं। आप न बाला, न वृद्धा और न कामातुरा युवती ही हैं; आपके इस स्वरूपको देवता भी नहीं जानते ।
- 10
क्षमस्वापराधं महागुप्तभावं मया लोकमध्ये प्रकाशीकृतं यत् । तव ध्यानपूतेन चापल्यभावात् स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ॥१०॥
Being purified by your meditation, I have in my fickleness revealed this most secret feeling to the world. Please forgive me for this sin of mine; even the gods are not aware of this form of yours.
आपके ध्यान से पवित्र होकर चंचलतावश इस अत्यन्त गुप्तभाव को जो मैंने संसार में प्रकट कर दिया है, मेरे इस अपराध को आप क्षमा करें; आपके इस स्वरूप को देवता भी नहीं जानते ।