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ईश्वर उवाच । शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने । यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती ॥ १॥
Shankarji says to Parvatiji – Kamalanane! Now I describe the name Ashtottarashat, listen; The mere offering (recitation or hearing) of which pleases Supreme Goddess Bhagwati Durga.
शंकरजी पार्वतीजीसे कहते हैं— कमलानने ! अब मैं अष्टोत्तरशत नामका वर्णन करता हूँ, सुनो; जिसके प्रसाद (पाठ या श्रवण) मात्रसे परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं I
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ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी । आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ॥ २॥
1 Om Sati, 2 Sadhvi, 3 Bhavapreeta (one who has love for Lord Shiva), 4 Bhavani, 5 Bhavamochani (one who frees from worldly bondage), 6 Arya, 7 Durga, 8 Jaya, 9 Aadya, 10 Trinetra, 11 Shuldharini.
१ ॐ सती, २ साध्वी, ३ भवप्रीता (भगवान् शिवपर प्रीति रखनेवाली), ४ भवानी, ५ भवमोचनी (संसारबन्धनसे मुक्त करनेवाली), ६ आर्या, ७ दुर्गा, ८ जया, ९ आद्या, १० त्रिनेत्रा, ११ शूलधारिणी
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पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः । मनो बुद्धिरहङ्कारा चित्तरूपा चिता चितिः ॥ ३॥
12 Pinakdharini, 13 Chitra, 14 Chandaghanta (one who makes loud ringing sounds), 15 Mahatapaah (one who performs heavy penance), 16 Manah (power of contemplation), 17 Buddhih (power of understanding), 18 Ahankara (shelter of ego), 19 Chittarupa, 20 Chita, 21 Chiti (Consciousness)
१२ पिनाकधारिणी, १३ चित्रा, १४ चण्डघण्टा (प्रचण्ड स्वरसे घण्टानाद करनेवाली), १५ महातपाः (भारी तपस्या करनेवाली), १६ मनः (मनन-शक्ति), १७ बुद्धिः (बोधशक्ति), १८ अहंकारा (अहंताका आश्रय), १९ चित्तरूपा, २० चिता, २१ चितिः (चेतना)
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सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी । अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ॥ ४॥
22 Sarvamantramayi, 23 Satta (Sat-Swaroopini), 24 Satyananda Swaroopini, 25 Ananta (whose form has no end), 26 Bhavini (originator of all), 27 Bhavya (capable of feeling and meditating), 28 Bhavya (well-being), 29 Abhavya. (There is nothing more grand than this), 30 Sadagati
२२ सर्वमन्त्रमयी, २३ सत्ता (सत्-स्वरूपा), २४ सत्यानन्दस्वरूपिणी, २५ अनन्ता (जिनके स्वरूपका कहीं अन्त नहीं), २६ भाविनी (सबको उत्पन्न करनेवाली), २७ भाव्या (भावना एवं ध्यान करने योग्य), २८ भव्या (कल्याणरूपा), २९ अभव्या (जिससे बढ़कर भव्य कहीं है नहीं), ३० सदा गतिः,
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शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा । सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ॥ ५॥
31 Shambhavi (Shivpriya), 32 Devmata, 33 Chinta, 34 Ratnapriya, 35 Sarvavidya, 36 Dakshakanya, 37 Dakshayagyavinashini,
३१ शाम्भवी (शिवप्रिया), ३२ देवमाता, ३३ चिन्ता, ३४ रत्नप्रिया, ३५ सर्वविद्या, ३६ दक्षकन्या, ३७ दक्षयज्ञविनाशिनी,