- 16
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम् । नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति ॥ १६॥
Goddess Parvati! For the one who recites this Ashtottara Shatnam of Durgaji every day, there is nothing impossible in the three worlds.
देवी पार्वती ! जो प्रतिदिन दुर्गाजीके इस अष्टोत्तरशतनामका पाठ करता है, उसके लिये तीनों लोकोंमें कुछ भी असाध्य नहीं है I
- 17
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च । चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम् ॥ १७॥
He attains wealth, grain, son, woman, horse, elephant, religion etc. and ultimately attains eternal salvation.
वह धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा अन्तमें सनातन मुक्ति भी प्राप्त कर लेता है I
- 18
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम् । पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम् ॥ १८॥
Worship Kumari and meditate on Goddess Sureshwari and worship her with utmost devotion, then start reciting Ashtottarshatnam.
कुमारीका पूजन और देवी सुरेश्वरीका ध्यान करके पराभक्तिके साथ उनका पूजन करे, फिर अष्टोत्तरशत नामका पाठ आरम्भ करे I
- 19
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि । राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात् ॥ १९॥
Devi! One who does this, gets success from all the great gods. Kings become his slaves. He gets the kingdom's wealth.
देवि ! जो ऐसा करता है, उसे सब श्रेष्ठ देवताओंसे भी सिद्धि प्राप्त होती है । राजा उसके दास हो जाते हैं । वह राज्यलक्ष्मीको प्राप्त कर लेता है I
- 20
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेव सिन्धूरकर्पूरमधुत्रयेण । विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः ॥ २०॥
Gorochan, Laksha, Kumkum, Sindoor, Camphor, Ghee (or Milk), Sugar and Honey – the person who is a scholar and who collects these things and writes a Yantra with them and always wears that Yantra, becomes equal to Shiva (in the form of salvation).
गोरोचन, लाक्षा, कुङ्कुम, सिन्दूर, कपूर, घी (अथवा दूध), चीनी और मधु – इन वस्तुओंको एकत्र करके इनसे विधिपूर्वक यन्त्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्रको धारण करता है, वह शिवके तुल्य (मोक्षरूप) हो जाता है I