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    यस्यां समुद्र उत सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः । यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेये दधातु ॥ ३॥

    Salutations to mother earth! in her is woven together ocean and river waters; in her is contained food which she manifests when ploughed, in her indeed is alive all lives; may she bestow us with that life. ।। 3 ।।

    धरती माता को नमन! उसी में समुद्र और नदी का जल एक साथ बुना हुआ है; उसी में अन्न है, जो जोतने पर प्रकट होता है, उसी में जीवन भर जीवित रहता है; वह हमें वह जीवन प्रदान करे। ॥ ३॥