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नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥१॥
O Mahamaye who is situated on Shripeeth and is worshipped by the gods! You have the proof. O Mahalakshmi who holds chakra, conch and mace in her hands! I salute you.
श्रीपीठ पर स्थित और देवताओं द्वारा पूजित होने वाली हे महामाये ! तुम्हें प्रमाण है। हाथ में चक्र, शंख और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है।
- 2
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥२॥
O Bhagwati Mahalakshmi, who rides on Garuda and frightens Kolasura and destroys all sins, I salute you.
गरुड़ पर आरूढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली, हे भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है।
- 3
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि । सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥३॥
O Goddess Mahalakshmi, who knows everything, gives boons to all, frightens all the wicked and removes everyone's sorrows! Salutations to you.
सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुःखों को दूर करने वाली हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है।
- 4
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥४॥
O Bhagwati Mahalakshmi who gives success, wisdom, enjoyment and salvation! I always salute you.
सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें सदा प्रणाम है।
- 5
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥५॥
O Goddess! O beginningless and endless Adishakti! O Maheshwari! O Goddess Mahalakshmi manifested through Yoga! I salute you.
हे देवि ! हे आदि-अंत रहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि ! हे हे योग से प्रकट हुई भगवती महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है।