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शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् । भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३ ॥
Salutations to Lord Kalabhairava, the supreme lord of Kashi, who holds the trident, mattock, noose, and club in his hands; whose body is dark, who is the primordial Lord, who is immortal, and free from the diseases of the world; who is immensely mighty and who loves the wonderful tandava dance. ॥ 3 ॥
जिनकी कांति श्याम रूपी है, तथा जिन्होंने शूल, टंक, पाश, दंड आदि को जिन्होंने धारण किया है, जो आदिदेव, अविनाशी तथा आदिकारण है, जो महापराक्रमी है तथा अद्भुत तांडव नृत्य करते है, ऐसे काशीपुरी के स्वामी का मैं भजन (आराधना) करता हूँ. ॥ ३ ॥